Yogas Related to Eyes and Hearing power |
मंद दृष्टि योग :
दूसरा और बारहवे स्थान को नेत्र स्थान कहा जाता है, परन्तु इसी के साथ 6, 8 और 12 स्थान में दृष्टि के विचार से मुख्य स्थान है। चन्द्र और सूर्य को हम दृष्टि के हिसाब से बहुत मुख्य मानते हैं इसी कारण इसकी स्थिति कुंडली में विचारनीय है -- चन्द्र और सूर्य दोनों अगर तीसरे स्थान में या केंद्र में एक साथ बैठे हो तो दृष्टि कमजोर होती है।
- मकर या कुम्भ राशि का सूर्य अगर सप्तम भाव में बैठा हो.
- चन्द्र और सूर्य व्यय भाव में बैठे हो और इन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि न हो।
- शनि ये भाव में,चन्द्रमा धन भाव में और सूर्य 8 भाव में हो तो भी दृष्टि मंद होती है।
- सुख इस्थान में पाप गृह हो और शुक्र और शनि सिंह लग्न में बैथा हो.
- शुक्र और चन्द्र पाप ग्रहों से युक्त हो और ग्यारवे स्थान में हो .
- सूर्य 8 में चन्द्र 6 में , शनि दुसरे में और मंगल 12 में बैठा हो तो भी मंद दृष्टि योग बनता है।
- शनि सुख स्थान में हो और पाप ग्रहों की उस पर दृष्टि हो तो मंद दृष्टि योग बनता है।
- शुक्र या लग्न से पांचवे स्थान पर राहू हो और उसपर सूर्य की दृष्टि हो.
- लग्न में चन्द्र या मंगल हो और शुक्र तथा गुरु उसे देख रहे हो तो व्यक्ति काना होता है
- सिंह राशि का चन्द्र 7 पे बैठा हो तथा मंगल लग्न , चोथे या 12 भाव में हो तो.
- चन्द्र और शुक्र एक साथ 7 या 12 भाव में हो तो भी दृष्टि रोग होता है।
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बहरापन से सम्बंधित योग :
- चन्द्रमा और शुक्र के साथ इनके शत्रु ग्रहों के स्थित होने पर व्यक्ति कम सुनने वाला होता है.
- शुक्र और बुध एक साथ 12वे भाव में स्थित हो।
- व्यक्ति का जन्म रत में हुआ हो और छटे स्थान में बुध और 10वे स्थान में शुक्र हो
- छठे स्थान का स्वामी छटे , आठवे, या 12वे स्थान में हो और बुध शनि से चोतेह स्थान में हो .
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